यदि आप ऐसे समाज में रहते हों जहाँ आपकी उपस्थिति की अहमियत न हो, आपका परिवार ही आपकी उपस्थिति को अवांछनीय और अशोभनीय प्रदर्शित करता हो तो ऐसे में आपके मनोबल की क्या स्थिति होगी?
दोस्तों मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जिसके बारे में ज्यादातर लोग बात करना नहीं चाहते हैं। जबकि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य, अगर हम शारीरिक तौर पर स्वस्थ नहीं होते हैं तो हम बहुत सारे कार्य नहीं कर पाते हैं लेकिन जब हम मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं होते हैं तो हमें जिंदगी में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और साथ ही साथ हमारे परिवार के लोग भी इस तनाव भरी समस्या से जूझते हैं।
शोध बताते हैं कि हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है लेकिन यह जानते हुए भी कि वह मानसिक समस्या से अकेले जूझ रहा है, वह किसी डॉक्टर को दिखाने से डरता है। इसका बहुत बड़ा कारण हमारे समाज का मानसिक समस्या के बारे में गलत धारणा रखना है। हमें याद भी नहीं होगा कि हम कभी किसी मानसिक समस्या के निदान के लिए किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल गए हों जबकि छोटी-छोटी शारीरिक समस्या जैसे: सर्दी, जुकाम और बुखार से लेकर बड़ी से बड़ी बीमारी – हृदयरोग, मधुमेह और कैंसर तक के लिए हम तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेते हैं। बिना किसी संकोच के सबको बताते हैं लेकिन किसी मानसिक बीमारी की चर्चा हम नहीं करना चाहते हैं।
इसलिए हमारा मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को समझें और जल्द से जल्द अपने किसी भी तरह की मानसिक समस्या के लिए किसी भी मनोवैज्ञानिक व काउंसलर की मदद जरूर लें। ध्यान रखें, अपने मन का ख्याल रखना और उसे स्वस्थ रखना आपकी पहली प्राथमिकता है। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परामर्श लेना आपकी स्मार्टनेस है ना कि आपकी वीकनेस।
मनो. दिव्या गुप्ता
मनोवैज्ञानिक एवं काउंसलर
"योर ट्रस्टेड फ्रेंड इन योर इमोशनल हेल्थ"